Lotus Temple - कमल मंदिर - बहाई मंदिर


Lotus Temple - कमल मंदिर - बहाई मंदिर 


        दिल्ली अपने ऐतिहासिक स्थलों और इमारतों के लिए जाना जाता है, यहाँ कई वास्तुशिल्प चमत्कार स्थित है उनमे से एक इस सफ़ेद सुंदरता को लोटस टेम्पल या कमल मंदिर कहते  है।

        गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड्स, 2001 के अनुसार "दुनिया में सबसे अधिक देखी जाने वाली धार्मिक ईमारत " का गौरव कमल मंदिर को जाता है, अप्रैल 2014 तक इसे 10 करोड़  से अधिक आगंतुक देख चुके है।  आज भी कमल मंदिर को प्रतिदिन  10 हज़ार से अधिक और प्रतिवर्ष लगभग 45 -50 लाख आगंतुकों द्वारा देखा जाता है।

    Lotus Temple, एक अनोखाअद्वित्य वास्तुशिल्प चमत्कार है और अपनी फूलों जैसी आकृति के लिए उल्लेखनीय यह दिल्ली शहर का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण बन गया है।    


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Lotus Temple
                

Lotus Temple - कमल मंदिर का निर्माण

      कमल मंदिर असल में बहाई धर्म के लोगों का "पूजा का घर है"  जिसे वह "मशरिक उल अधकार " कहते है, यह एक अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ "भगवान् को स्मरण करने की जगह" है। इसका निर्माण 24 Dec 1984 को पूरा हुआ और इसके प्रमुख शिल्पकार "फरीबोर्ज़ साहबा" है जो एक ईरानी - अमरीकी शिल्पकार है, वह अब अमेरिका में रहते है।

      यहाँ एक दिलचस्प बात यह है की जिस जगह पर यह मंदिर बनाया गया वह एक बहाई अनुयायी "आर्दईशिर रुस्तमपुर" सिंध, पाकिस्तान के दिए हुए पैसों से खरीदी गयी जिन्होंने 1953 में अपने जिंदगी भर की कमाई इस मंदिर के निर्माण के लिए दान कर दी थी।

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Lotus Temple - कमल मंदिर

      फरीबोर्ज़ साहबा ने कमल का प्रतिक इसलिए चुना क्योंकि यह हिन्दू, जैन, बुद्ध और इस्लाम में एक सामान्य प्रतिक है। दिल्ली का कमल मंदिर दुनिया का 7th बहाई मंदिर है। Lotus Temple ने कई वास्तुशिल्प पुरुस्कार जीते है और कई अख़बार और पत्रिकाओं के लेखों में चित्रित किया गया है। 

बहाई धर्म

      बहाई धर्म की स्थापना "मिर्ज़ा हुसैन अली नूरी" जिन्हे उनके अनुयायी "बहाउल्लाह" के नाम से बुलाते है ने 1863 में की। इस धर्म की शुरुआत ईरान और मध्य पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में हुई , जहाँ अपनी स्थापना के समय से ही इसने निरंतर उत्पीड़न का सामना किया।

      बहाई शब्द अरबी भाषा के शब्द "बहा" से  लिया गया है जिसका अर्थ  "महिमा" या "वैभव" है, और "बहाउल्लाह" के अनुयायियों को भी बहाई कहा जाता है। इस धर्म की तीन मुख्य शिक्षायें है -

1.  भगवन की एकता 
2.  धर्म की एकता, और 
3.  मानवता की एकता 

      बहाई धर्म की किताबों में भगवान्  को एक व्यक्तिगत, दुर्गम, सर्वज्ञ, सर्वव्यापी, अविनाशी और सर्वशक्तिमान कहा गया है जो ब्रह्माण्ड की सभी वस्तुओं का निर्माता है। भगवान् के अस्तित्व और ब्रह्माण्ड को शास्वत माना गया है जिसकी तो कोई शुरुआत है और ही कोई अंत।

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Lotus Temple - कमल मंदिर

      आज विश्व में बहाई  लोगों की कुल आबादी लगभग 80 लाख हैकुछ अनुमानों के अनुसार विश्व  में सबसे बड़ा बहाई समुदाय भारत में है जिनकी आबादी लगभग 22 लाख है। बहाई धर्म दुनिया का दूसरा सबसे तेजी से बढ़ता हुआ धर्म है।

पूजा

      बहाई धर्म सिखाता है "बहाई उपासना का घर" सभी धर्म के लोगों को इकठा करने, प्रतिबिंबित करने और पूजा करने के लिए एक स्थान होना चाहिए। कोई फर्क नहीं पड़ता की आपकी क्या  मान्यताएं, धर्म और जाति-पंथ है, यहाँ पूजा के लिए कोई पद्व्ती नहीं है और अनुष्ठान समारोहों की अनुमति नहीं है। 

      महिमा और एकता के शानदार प्रतीक के रूप में यहाँ कोई मूर्ति नहीं है, ना ही कोई प्रतिक, यहाँ केवल आपको  बैठना और ध्यान लगाना होता है। यहाँ आप शांति से ध्यान और प्रार्थना कर सकते है।

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Lotus Temple - कमल मंदिर

संरचना

      इस मंदिर का निर्माण कमल के फूल से प्रेरित होकर 27 बड़े मुक्त खड़े संगमरमर की पंखुड़ियों से बना है, जो तीन तीन के समूहों में बनाये गए है। इसके 9 दरवाज़े है जो 40 मीटर से अधिक एक केंद्रीय हॉल में खुलते है। इस हॉल में 2500 लोगों की खड़े होने की क्षमता है। 

       मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत ही मनमोहक है जहाँ तालाबों और उद्यानों से आपका स्वागत होता है और एक अद्भुत शांति का अहसास होता है। इसकी बेदाग़ सफ़ेद पंखुड़ियां मानव और प्रकृति की एकता का प्रतीक है। 

       यह दिल्ली का पहला मंदिर जो सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए अपनी कुल आवश्यकता का 25 % उत्पादन मंदिर में लगे सौर पैनलों से कर लेता है जिससे इस मंदिर को हर महीने 1 लाख 25 हज़ार की बचत होती है। यहाँ कुल 9 तालाब है और यह लगभग 26 एकड़ में फैला हुआ है।

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Lotus Temple - कमल मंदिर

कैसे पहुँचे

      Lotus Temple नेहरू प्लेस और ओखला फेज-III के पास और श्री कालका जी मंदिर के सामने है।  नेहरू प्लेस में DTC का  बस अड्डा है जहाँ से कमल मंदिर पैदल जा सकते है, और दिल्ली मेट्रो के सबसे नजदीकी 2 स्टेशन - वायलेट लाइन पर नेहरू प्लेस और कालकाजी स्टेशन  और पिंक लाइन पर NSIC ओखला स्टेशन है।

      मंदिर में प्रवेश करने का कोई कोई शुल्क नहीं है, पर आपको लम्बी लाइन का सामना करना पड़  सकता है। यहाँ पार्किंग की भी फ्री व्यवस्था है। यह मंदिर मंगलवार से रविवार तक खुला रहता है और सोमवार को बंद रहता है, सर्दियों में यह सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक और गर्मियों में सुबहबजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।


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Lotus Temple - कमल मंदिर


      शानदार  Lotus Temple, दिल्ली की इमारतों के मुकुट का एक गहना है, यहाँ आप शांति, समझ और सुखद अनुभव प्राप्त कर सकते है इसीलिए यह दिल्ली के सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है।


टिप्पणियाँ

  1. आपका धन्यवाद इस पोस्ट को लिखने के लिए। इसकी सहायता से मे अपनी वैबसाइट जो पूरे भारत मे tourist प्लेस के बारे मे है उसमे दिल्ली के पोस्ट के लिए यहाँ से कुछ सहायता मिली

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