Khan Market Delhi - खान मार्किट दिल्ली
Khan Market Delhi - खान मार्किट दिल्ली
1951 में स्थापित Khan Market, दिल्ली के उन स्थानों में से एक है, जिसका इतिहास समृद्ध और पुराना है। पाकिस्तान से आये आप्रवासियों के लिए स्थापित इस मार्किट की जिस दुकान का प्रारंभिक किराया मात्र 50/- रूपए था वह आज बढ़कर 6 लाख प्रति महीना तक हो सकता है।
2019 में एक फर्म द्वारा एकत्रित की गई सूचि में इसे दुनिया के 20वें सबसे महंगे खुदरा स्थान के रूप में दर्ज किया गया है, यह उस सूचि में शामिल होने वाला एकमात्र भारतीय स्थान है।
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Khan Market |
नाम
Khan Market, 1951 में स्थापित, स्वतंत्रता सेनानी खान अब्दुल जब्बार खान के नाम पर है। वह लोकप्रिय और प्रसिद्ध अब्दुल गफ्फार खान (Frontier Gandhi और बादशाह खान के नाम से मशहूर) के भाई थे। उनके नाम पर इस मार्किट का नाम इसलिए रखा गया क्योंकि विभाजन के समय वह पाकिस्तान के पेशावर के आसपास से अप्रवासी लोगों को सुरक्षित इस मार्किट के इलाके में लाये थे।
इस मार्किट को "U" आकार में बनाया गया था, इस दो मंजिला मार्किट परिसर में शुरुआत में 154 दुकानें थीं और दुकानदारों के रहने के लिए पहली मंजिल पर 74 फ्लैट्स थे। इसे मूल रूप से विभाजन के बाद पाकिस्तान के नार्थ वेस्ट फ्रंटियर के प्रवासियों के लिए बीज भूमि के रूप में बनाया गया था।
यहाँ दुकानों को मुख्य रूप से प्रवासियों द्वारा स्थापित किया गया था, और पहले दुकान मालिकों ने इस जगह का नाम खान के नाम पर रखा क्योंकि उन्होंने ही इन्हे अपने नए जीवन में बसने में मदद की थी।
1956 में पुनर्वास मंत्रालय की योजना के तहत, प्रत्येक दुकान को 6,516/- रूपए में आवंटित किया गया था, और आज यह दुनिया के 20 और भारत के सबसे महंगे स्थान के रूप में प्रसिद्ध है।
यह एक ऐसा बाजार है जो आर्थिक और सामाजिक कारणों के जवाब में बदल गया है। दिल्ली के कई बाज़ार भी इसी बदलाव से गुजर रहे है, जैसे की 1970 के दशक में साउथ एक्सटेंशन मार्किट में बदलाव आये जब वहां के व्यापारियों ने अचानक अपनी आर्थिक क्षमता का एहसास किया और बाजार रूपांतरित हो गया।
इन बाज़ारों का एक समावेशी रूप यह भी है की यहाँ आप एक बहुत उच्च स्तर के डिज़ाइनर दुकान के बगल में एक फलों की दुकान या घेरलू सामान के विक्रेता को भी देख सकते है, जो किसी मॉल में देखना असंभव सा है। यह बाजार छोटे दुकानदारों के लिए अपना रास्ता बंद नहीं करते।
Khan Market दिल्ली के उच्च न्यालय, भारत के सर्वोच्च न्यालय, संसद और लुटियंस दिल्ली के नौकरशाही कार्यालयों के निकट होने का कारण, वकीलों, शिक्षाविदों, राजनेताओं और पत्रकारों का पसंदीदा केंद्र रहा है। गोल्फ लिंक्स, सुन्दर नगर और चाणक्यपुरी की राजनयिक भीड़ के लिए भी यह एक पसंदीदा जगह थी।
जमीनों की कीमतें बढ़ने के बाद यहाँ रहने वाले परिवार अपने फ्लैट्स बेच कर धीरे धीरे दिल्ली के दूसरे इलाकों में चले गए और कुछ परिवारों के विस्तार ने उन्हें बाहर जाने के लिए मजबूर किया।
इंडिया गेट के करीब, Khan Market लगभग शहर के केंद्र में है। यह कुछ आवासीय परिसरों से घिरा हुआ है - सरकारी एवं निजी दोनों, जिनमे गोल्फ लिंक्स, लोधी एस्टेट, शाहजहां रोड, पंडरा रोड, रविंदर नगर और सूजान सिंह पार्क शामिल है।
निकटवर्ती सुजान सिंह पार्क का अपना रोचक इतिहास है। यह नई दिल्ली का पहला अपार्टमेंट काम्प्लेक्स था, जिसे 1945 में बनाया गया था और इसका नाम सुजान सिंह जी के नाम पर रखा गया जो मशहूर लेखक खुशवंत सिंह के दादा और सोभा सिंह के पिता थे।
सोभा सिंह दिल्ली के प्रमुख बिल्डर और रियल एस्टेट डेवलपर थे। दिल्ली के कनॉट प्लेस, इंडिया गेट, साउथ ब्लॉक और राष्टपति भवन के साथ-साथ बरोदा हाउस, मॉडर्न स्कूल और नेशनल म्यूजियम के प्रमुख बिल्डर थे। वह NDMC के पहले भारतीय अध्यक्ष बने और बाद में चार बार और चुने गए।
लेकिन इन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की सोभा सिंह 1929 में दिल्ली विधानसभा पर बम फेंकने के लिए महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त की पहचान करने वालों में से एक थे। 1944 में सोभा सिंह को अंग्रेजी सरकार ने "सर" की उपाधि दी। कुछ लोगों को उनके गवाही देने और "सर" की उपाधि मिलने में भारी सम्बन्ध दिखाई देता है।
Khan Market के पास यहूदी लोगों का एक Synagogue (पूजा का स्थान) है, दिल्ली में करीब 100 यहूदी है और पुरे भारत में कुल मिलाकर 5000 के समीप यहूदी रहते है। इस क्षेत्र में यहूदी, ईसाई और पारसी लोगों के कब्रिस्तान भी है। दिल्ली में पारसी लोगों की संख्या अधिक नहीं है, लेकिन फिर भी इनका कब्रिस्तान एक बहुत अच्छी स्थिति में है।
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Khan Market |
यहाँ दुकानों को मुख्य रूप से प्रवासियों द्वारा स्थापित किया गया था, और पहले दुकान मालिकों ने इस जगह का नाम खान के नाम पर रखा क्योंकि उन्होंने ही इन्हे अपने नए जीवन में बसने में मदद की थी।
मार्किट - बाज़ार
1980 के दशक तक, बाज़ार की पहली मंजिलें दुकान मालिकों के घर हुआ करते थे। वास्तव में, बाजार की शुरुआत केवल पड़ोस की किराने की दुकान और मध्यम वर्ग की दुकानों के रूप में की गयी थी। लेकिन आज ज्यादातर घर दुकानों का हिस्सा बन चुके है।![]() |
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1956 में पुनर्वास मंत्रालय की योजना के तहत, प्रत्येक दुकान को 6,516/- रूपए में आवंटित किया गया था, और आज यह दुनिया के 20 और भारत के सबसे महंगे स्थान के रूप में प्रसिद्ध है।
यह एक ऐसा बाजार है जो आर्थिक और सामाजिक कारणों के जवाब में बदल गया है। दिल्ली के कई बाज़ार भी इसी बदलाव से गुजर रहे है, जैसे की 1970 के दशक में साउथ एक्सटेंशन मार्किट में बदलाव आये जब वहां के व्यापारियों ने अचानक अपनी आर्थिक क्षमता का एहसास किया और बाजार रूपांतरित हो गया।
इन बाज़ारों का एक समावेशी रूप यह भी है की यहाँ आप एक बहुत उच्च स्तर के डिज़ाइनर दुकान के बगल में एक फलों की दुकान या घेरलू सामान के विक्रेता को भी देख सकते है, जो किसी मॉल में देखना असंभव सा है। यह बाजार छोटे दुकानदारों के लिए अपना रास्ता बंद नहीं करते।
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Khan Market दिल्ली के उच्च न्यालय, भारत के सर्वोच्च न्यालय, संसद और लुटियंस दिल्ली के नौकरशाही कार्यालयों के निकट होने का कारण, वकीलों, शिक्षाविदों, राजनेताओं और पत्रकारों का पसंदीदा केंद्र रहा है। गोल्फ लिंक्स, सुन्दर नगर और चाणक्यपुरी की राजनयिक भीड़ के लिए भी यह एक पसंदीदा जगह थी।
जमीनों की कीमतें बढ़ने के बाद यहाँ रहने वाले परिवार अपने फ्लैट्स बेच कर धीरे धीरे दिल्ली के दूसरे इलाकों में चले गए और कुछ परिवारों के विस्तार ने उन्हें बाहर जाने के लिए मजबूर किया।
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Khan Market |
दुकानें
Khan Market दिल्ली के कुछ प्रसिद्ध एवं उच्च स्तर के कीमती Cafe और Restaurants के साथ अपनी कुछ पुरानी लोकप्रिय दुकानों के लिए मशहूर है। आप यहाँ उत्कृष्ट किताब की दुकानें, उच्च बुटीक, टेलर्स, ऑप्टीशन्स, घरेलु सामान, ब्रांडेड शोरूम और लाइफ स्टाइल की दुकानें देख सकते है।
आपको यहाँ नई पीढ़ी के स्टाइलिश, शान-शौकत और उज्जवलता से पूर्ण, आरामदायक माहौल के साथ आकर्षक और सुन्दर Restaurants और Lounges मिलेंगे। इनका किराया आसमान पर होने के कारण इनकी कीमतें भी बहुत ज्यादा है।
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Khan Market |
इसके अलावा इस बाजार में एक सुखदायक माहौल, अच्छी सभ्य भीड़ और शानदार एहसास है। कुछ बेहतरीन आकर्षण है -
The Big Chill Cafe, Townhall, Nicobar, Harry's, Smokey's, Barcelos and Anglo Indian Kitchen.
Soda Bottle Opener Wala में आप पारसी व्यंजनों का आनंद ले सकते है, मशहूर शेफ ऋतू डालमिया के Latitude 28 में आप इटालियन खाना और Mamagoto's में आप Sushi से लेकर Pad Thai के साथ समस्त एशिया के खाने का आनंद ले सकते है।
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Khan Chacha एक मील का पत्थर है, इसके टिक्के और कबाब के चाहने वालों की गिनती बहुत लम्बी है। Amrapali अपने चांदी के आभूषणों के लिए प्रसिद्ध है, Rana Gill और Ritu Kumar मशहूर डिज़ाइनर स्टोर है। यहाँ Bharat Hair Dresser एक रोचक सैलून है, इसकी स्थापना 1952 में हुई थी और तब से आज तक यह लगातार काम कर रहा है।
आस - पास
यहाँ आस-पास दिल्ली के कुछ सबसे शक्तिशाली और प्रभावी घर है, जिनमे से कई ने अपना प्रभाव विरासत में पाया है। यहाँ लुटियंस दिल्ली की विशाल इमारतें और लॉन, और कुछ सबसे महंगे निजी घरों के साथ-साथ सांस्कृतिक केंद्र जैसे India Habitat Centre, India International centre और कई दूतावास एवं आलिशान होटल है।![]() |
Khan Market |
इंडिया गेट के करीब, Khan Market लगभग शहर के केंद्र में है। यह कुछ आवासीय परिसरों से घिरा हुआ है - सरकारी एवं निजी दोनों, जिनमे गोल्फ लिंक्स, लोधी एस्टेट, शाहजहां रोड, पंडरा रोड, रविंदर नगर और सूजान सिंह पार्क शामिल है।
निकटवर्ती सुजान सिंह पार्क का अपना रोचक इतिहास है। यह नई दिल्ली का पहला अपार्टमेंट काम्प्लेक्स था, जिसे 1945 में बनाया गया था और इसका नाम सुजान सिंह जी के नाम पर रखा गया जो मशहूर लेखक खुशवंत सिंह के दादा और सोभा सिंह के पिता थे।
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सोभा सिंह दिल्ली के प्रमुख बिल्डर और रियल एस्टेट डेवलपर थे। दिल्ली के कनॉट प्लेस, इंडिया गेट, साउथ ब्लॉक और राष्टपति भवन के साथ-साथ बरोदा हाउस, मॉडर्न स्कूल और नेशनल म्यूजियम के प्रमुख बिल्डर थे। वह NDMC के पहले भारतीय अध्यक्ष बने और बाद में चार बार और चुने गए।
लेकिन इन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की सोभा सिंह 1929 में दिल्ली विधानसभा पर बम फेंकने के लिए महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त की पहचान करने वालों में से एक थे। 1944 में सोभा सिंह को अंग्रेजी सरकार ने "सर" की उपाधि दी। कुछ लोगों को उनके गवाही देने और "सर" की उपाधि मिलने में भारी सम्बन्ध दिखाई देता है।
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Khan Market |
Khan Market के पास यहूदी लोगों का एक Synagogue (पूजा का स्थान) है, दिल्ली में करीब 100 यहूदी है और पुरे भारत में कुल मिलाकर 5000 के समीप यहूदी रहते है। इस क्षेत्र में यहूदी, ईसाई और पारसी लोगों के कब्रिस्तान भी है। दिल्ली में पारसी लोगों की संख्या अधिक नहीं है, लेकिन फिर भी इनका कब्रिस्तान एक बहुत अच्छी स्थिति में है।
कैसे पहुंचे
इस बाजार में आने का सबसे अच्छा समय शाम के बाद अँधेरा होने से पहले का है। उस वक़्त यह अपने चरम पर होता है, लेकिन अगर आपको कम भीड़ वाला अनुभव पसंद है तो आप सुबह 11 बजे आ सकते है।
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Khan Market Nearest Metro Station |
आमतौर पर रविवार को यह बाजार बंद रहता है, पर यहाँ के ज्यादातर कैफ़े और रेस्टोरेंट्स को आप पूरे सप्ताह भी खुला पा सकते है। बाजार का समय सुबह 10 बजे से रात के 12 बजे तक है। यहाँ कार पार्किंग एक गंभीर समस्या है जिसका विकल्प दिल्ली मेट्रो है और नजदीकी स्टेशन - Khan Market Metro Station के नाम से ही है।
Its really impressive.you have made a good research and its a great discovery.
जवाब देंहटाएंThank you, your appreciation is a source of inspiration for me.
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