संदेश

जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Quwwat-ul-Islam Mosque Delhi - क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद दिल्ली

चित्र
Quwwat-ul-Islam Mosque Delhi - क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद दिल्ली         क़ुतुब परिसर के भीतर स्थित अपनी तरह के सबसे जटिल और विवादास्पद स्मारकों में से एक है, दिल्ली की पहली मस्जिद  - क़ुव्वत-उल-इस्लाम।          जबकि इसका करीबी पडोसी, क़ुतुब मीनार अपनी विशाल उपस्थिति का दावा करता है, मस्जिद को कुख्यात रूप से एक हिंसक और सांप्रदायिक अतीत की याद के रूप में देखा जाता है। मीनार और मस्जिद की साक्षेप सार्वजनिक स्थिति में एक उल्लेखनीय विरोधाभास है, मीनार को एक ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प स्मारक के रूप में मनाया जाता है, तो मस्जिद को विनाश, आघात और कट्टरता के भयावह प्रमाण के रूप में देखा जाता है।  Quwwat-ul-Islam Mosque - क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद                इस संरचना का सबसे विवादास्पद हिस्सा, मुख्य सार्वजनिक प्रवेश द्वार पर रखा गया शिलालेख है, जो क़ुतुब-उद-दीन ऐबक को जिम्मेदार ठहराते हुए कहता है - इस सामूहिक मस्जिद को बनाने के लिए 27 हिन्दू और जैन मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था।    Quwwat-ul-Islam Mosque  - क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद - History - इतिहास             Quwwat-ul-Is

Qutub Minar - क़ुतुब मीनार

चित्र
Qutub Minar - क़ुतुब मीनार         क़ुतुब मीनार शायद दिल्ली और भारत के सबसे प्रतिष्ठित और पहचान योग्य स्थलों में से एक है। दिल्ली के महरौली क्षेत्र में स्थित यह एक मीनार और जीत का स्तम्भ  है जो क़ुतुब परिसर का हिस्सा है जिसे साल 1993 में एक विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है।           यह मीनार अपनी ऊंचाई और उम्र दोनों में अद्वित्य है, 800 साल से अधिक पुराना, क़ुतुब मीनार दुनिया में सबसे ऊँची मीनारों में से एक है।  Qutub Minar - क़ुतुब मीनार     इसके आसपास के पुरातात्विक क्षेत्र में ओर भी रोचक और ऐतिहासिक  इमारतें और स्मारक है, जिनमे विशेष रूप से - शानदार अलाइ दरवाज़ा (Alai Gate), लोह स्तम्भ  (Iron Pillar)  और क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद   (Quwwat-ul-Islam)   मुख्य है जिसे 27 हिन्दू और जैन मंदिरों को गिराकर प्राप्त की गई सामग्री से बनाया है।   History of Qutub Minar - क़ुतुब मीनार का इतिहास          क़ुतुब मीनार  अफगानिस्तान में "जाम के मीनार" से प्रेरित है जिसका निर्माण साल 1190 में दिल्ली की मीनार से लगभग एक दशक पहले हुआ था, यह अफ़ग़ान वास्तुकला का एक महत्व

Facebook Page