Jama Masjid Delhi - जामा मस्जिद दिल्ली


Jama Masjid Delhi - जामा मस्जिद दिल्ली

       "मस्जिद-ए-जहान-नुमा" अर्थात "दुनिया को दर्शाती मस्जिद", जिसे आमतौर पर दिल्ली की जामा मस्जिद के रूप में जाना जाता है, देश की सबसे बड़ी और शायद सबसे शानदार मस्जिद है। 

      "जामा" अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ उर्दू में "जुम्मा" और हिंदी में "शुक्रवार" होता है, यह जुम्मा की नमाज़ के लिए दिल्ली की प्रमुख मस्जिद है, जहाँ शहर के मुसलमान परंपरागत रूप से इकठ्ठा होते है। 


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Jama Masjid Delhi

      पुरानी दिल्ली की महान मस्जिद, ताजमहल और लाल किला के बाद मुग़ल शासक शाहजहाँ के अधीन निर्मित असाधारण वास्तु आकर्षण और मुग़ल वास्तुकला का एक प्रभावशाली उदहारण है। पुरानी दिल्ली की हलचल और कोलाहल के बीच यह एक खूबसूरत और आरामदायक शांत जगह है।

History of Jama Masjid Delhi - इतिहास

      मुग़ल वास्तुकला का शिखर, बादशाह शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान हासिल किया गया था, और जामा मस्जिद इस तथ्य को प्रदर्शित करने के लिए एक उत्कृष्ट उदहारण है। मस्जिद का निर्माण करते समय शाहजहाँ की महत्वाकांक्षाए बहुत बुलंद थी क्योंकि उन्होंने इसका नाम मस्जिद-ए-जहान-नुमा रखा था जिसका अनुवाद "दुनिया को दर्शाती मस्जिद" के रूप में किया जा सकता है। 

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Entrance Jama Masjid Delhi

      इस मस्जिद का निर्माण 1650 में शुरू किया गया और यह 1656 में शाहजहाँ के वजीर (प्रधानमंत्री) सादुल्ला खान की देखरेख में बनकर तैयार हुई। उस समय इसके निर्माण पर करीब 10 लाख रूपए की लागत आई और इस राशि में केवल मजदूरी शामिल थी ना की निर्माण सामग्री की लागत। 

      मस्जिद के उद्घाटन के लिए शाहजहाँ के निमंत्रण पर बुखारा, उज्बेकिस्तान से इमाम सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी को आमंत्रित किया गया। उस समय उज्बेकिस्तान एक प्रमुख इस्लामिक बौद्धिक केंद्र था। वर्तमान में शाही इमाम अहमद बुखारी है। 

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      Jama Masjid सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का की और उन्मुख है, जो पश्चिम में स्थित है। मस्जिद और इसका आँगन सड़क से 30 कदम अधिक ऊँचे स्थान पर है, जो इसे आसपास के क्षेत्र का एक आकर्षक द्रश्य  देता है। यह हिन्दू, मुस्लिम और जैन वास्तु शैलियों का एक शानदार समावेश है।

      1948 के दौरान, मस्जिद के एक चौथाई हिस्से की मरम्मत के लिए कुछ लोगों ने हैदराबाद के आखिरी निज़ाम, आसफ़ जाह VII से 75,000 रूपए दान माँगा। निज़ाम ने इसके बजाय 3 लाख रूपए मंजूर किये और कहा जामा मस्जिद का बाकि तीन-चौथाई हिस्सा भी पुराना नहीं दिखना चाहिए।

      1857 के विद्रोह में अंग्रेज़ों की जीत के बाद, उन्होंने मस्जिद पर कब्ज़ा कर लिया और अगले 5 वर्षों तक इसे सैन्य अड्डे में बदल कर अपने सैनिकों को वहां तैनात कर दिया। वे शहर को सजा देने के रूप में जामा मस्जिद को नष्ट करना चाहते थे परन्तु भारी विरोध का सामना करने के कारण, विध्वंस नहीं कर पाए।

Architecture of Jama Masjid Delhi - वास्तुशिल्प 

      मस्जिद और लाल किला के इर्द-गिर्द शाहजहाँबाद नाम का एक बड़ा नियोजित और भव्य शहर बनाने की योजना थी। मुग़ल साम्राज्य के दौरान बनी सभी मस्जिदों में से Jama Masjid को सबसे शानदार और अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें संगमरमर और चुना पत्थर का बेहतरीन मिश्रण है। 


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      मस्जिद को 5-6 हज़ार श्रमिकों के दल द्वारा बनाया गया था। मुख्य निर्माण सामग्री लाल बलुआ (Red Sandstone) पत्थर थी, लेकिन कुछ जगह सफ़ेद संगमरमर का भी उपयोग किया गया था। 

      इसकी संरचना को 30 फ़ीट से अधिक की ऊंचाई पर रखा गया था ताकि इसका शानदार नज़ारा आस-पास के सभी क्षेत्रों से दिखाई दे। ऊँची सीढ़ियों से होते हुए इसके भव्य उत्तर और दक्षिण द्वार तक जाया जाता है। चौड़ी सीढ़ियां और मेहराबदार इस लोकप्रिय मस्जिद की पहचान है और एक फैला हुआ मैदान इसे मुख्य सड़क से अलग करता है। 

      मस्जिद में तीन भव्य द्वार जिनमे से एक शाही द्वार, चार मीनारें और दो 40 मीटर लम्बी मीनारें है जो लाल बलुआ पत्थर और चिकनी सफ़ेद संगमरमर की पट्टियों से निर्मित है। इनमे से एक मीनार पर चढ़कर अद्भुत द्रश्य देखे जा सकते है। 


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       पूर्वी द्वार, शाही द्वार था और इसमें 35 सीढ़ियां है, आजकल इस द्वार को अक्सर बंद कर दिया जाता है। गुम्बद दो ऊँची मीनारों से घिरा हुआ है जो 40 मीटर ऊँची है और इसमें 130 सीढ़ियाँ है, जिनमे संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से बनी लम्बी पट्टी है।

      नमाज़ (प्रार्थना) के लिए आँगन में एक समय में 25,000 और पूरी मस्जिद में कुल मिलकर 75,000 तक उपासकों को समायोजित किया जा सकता है। प्रार्थना हॉल के प्रवेश द्वार के ऊपर फ़ारसी भाषा में खूबसूरत सुलेख शिलालेख है तथा हॉल की छत से तीन बड़े संगमरमर के गुम्बद उठते है। 

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Jama Masjid Delhi

      Jama Masjid का फर्श एक नमाज़ की चटाई को दर्शाता है और इसका निर्माण काले और सफ़ेद सजावटी संगमरमर के पत्थरों से हुआ है। उत्तरी गेट के कोने में एक छोटा कमरा है जहाँ नबी पैगम्बर मुहम्मद PBUH के अवशेषों का एक संग्रह है, जिसमे - हिरण की खाल पर लिखी कुरान, पैगम्बर मुहम्मद की लाल दाढ़ी का बाल, उनकी सैंडल और एक संगमरमर के पत्थर पर उनके पैरों के निशान है।

      आँगन के केंद्र में हाथ, चेहरे और पैरों को धोने के लिए एक हौज़ (अभ्यारण्य टैंक) है, जो ईमारत के भीतरी और बाहरी हिस्से के बीच स्थित है। यह नमाज़ पढ़ने वालों को याद दिलाता है की जल संस्कार के अनुष्ठानों के माध्यम से ही, ख़ुदा पर यकीन रखने वालों के समुदाय में प्रवेश कर सकते है।


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Jama Masjid Delhi

Interesting Facts About Jama Masjid Delhi - रोचक तथ्य 

  • मस्जिद का निर्माण इस तरह से किया गया है की इसका आधार, लाल किले में स्थित शाही मुग़ल गद्दी (प्रसिद्ध मयूर सिंहासन) की ऊंचाई से थोड़ा ऊपर रहे और इस बात का प्रतिक रहे की भगवान् की श्रेष्ठता किसी भी राजा से ऊपर है। 
  • इस भव्य संरचना को, मुग़ल राजधानी शाहजहाँनाबाद में स्थित दो पहाड़ियों में से एक "भो झाला" के ऊपर बनाया गया। 
  • यह भारतीय उपमहाद्वीप की दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद है, पहली सबसे बड़ी मस्जिद, बादशाही मस्जिद, लाहौर पाकिस्तान में स्थित है जिसका निर्माण शाहजहाँ के बेटे औरंगजैब ने इसी के सामान कराया था। 
  • मिनार के ऊपर से, हम देख सकते है की किस तरह "एडविन लुटियन" ने Jama Masjid को नई दिल्ली के डिज़ाइन में शामिल किया - मस्जिद, कनॉट प्लेस और संसद भवन (पार्लियामेंट) एक सीधी रेखा में है। 
Jama Masjid Delhi

How To Reach Jama Masjid Delhi - कैसे पहुँचे 

      मस्जिद में प्रवेश करने से पहले आगंतुकों को अपने जूते द्वार से पहले उतारने पड़ते है, मस्जिद में प्रवेश नि: शुल्क है। अपने मोबाइल फ़ोन से आप फोटो ले सकते है पर यदि आपके पास पेशेवर कैमरा है, तो आपको उसके लिए 300/- रूपए का टिकट खरीदना होगा। 

      एक बार अंदर जाने के बाद, अगर आप 121 सीढ़ियों वाली मीनार पर जाना चाहते है तो उसके लिए अलग से 100/- रूपए का टिकट खरीद सकते है (नोटिस बोर्ड पर लिखा है की अकेली महिला को जाने की अनुमति नहीं है). एक धार्मिक स्थल होने की वजह से उचित कपड़ों का होना अनिवार्य है। ज्यादा छोटे या कम कपडे होने पर प्रवेश से रोका जा सकता है। 


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Jama Masjid Delhi

      Jama Masjid सप्ताह के सातों दिन, सुबह 7 बजे से शाम को 7 बजे तक खुली रहती है। अगर आप ज्यादा भीड़ से बचना चाहते है तो सुबह जल्दी का वक़्त उचित है। दिल्ली मेट्रो का नजदीकी स्टेशन - Jama Masjid and Chawari Bazaar Metro Station. 

      जीवन का एक सम्पूर्ण तरीका, भारत का एक सूक्ष्म जगत और इसके समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की कहानी इस युग पुराने स्मारक की छाया में रहते है। यह मुग़ल वंश के निधन तक शाही मस्जिद बनी रही और आज भारत के सबसे पहचानने योग्य स्मारकों में से एक है। 


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