Majnu ka tilla Delhi - मजनूं का टीला
Majnu ka tilla Delhi - मजनूं का टीला
जिसका इतिहास शुरू हुआ साल 1505 में खुद बाबा श्री गुरु नानक देव जी द्वारा और नया इतिहास साल 1959 में तिब्बत से भारत आये शरणार्थियों द्वारा, आज एक आकर्षक, मनमोहक, स्टाइलिश फैशन हब और दिलचस्प हैंगऑउट का स्थान बन चुका है।
नाम और इतिहास
"मजनूं का टीला" जगह के नाम का "लैला- मजनूं" की कहानी से कोई सम्बन्ध नहीं है, इसका यह नाम पहले सिख गुरु श्री गुरु नानक देव जी ने 1505 के आसपास एक सूफी संत अब्दुल्लाह जिसे लोग "मजनूं" (प्यार में खोया हुआ) भी कहते थे के नाम पर रखा।
उस वक़्त दिल्ली पर लोधी वंश के शासक सिकंदर लोधी का शासन था। उन दिनों अब्दुल्लाह लोगों को बिना पैसे लिए यमुना के एक किनारे से दूसरे किनारे तक ले जाता था, इस निस्वार्थ सेवा से खुश होकर श्री गुरु नानक देव जी ने इस जगह को "Majnu ka tilla" नाम दिया।
साल 1783 में जिस जगह पर श्री गुरु नानक देव जी कुछ समय रहे उस जगह पर एक सिख फौजी कमांडर श्री बघेल सिंह ने एक गुरुद्वारे का निर्माण कराया, जिसे "गुरुद्वारा मजनूं का टीला" कहा जाता है।
साल 1958 में केंद्रीय सरकार ने उत्तरी दिल्ली के कुछ लोगों को यहाँ रहने के लिए प्लॉट्स दिए और इस जगह को "अरुणा नगर" का नाम दिया।
साल 1958 में केंद्रीय सरकार ने उत्तरी दिल्ली के कुछ लोगों को यहाँ रहने के लिए प्लॉट्स दिए और इस जगह को "अरुणा नगर" का नाम दिया।
साल 1959 में तिब्बती विद्रोह के बाद तिब्बत चीन से जान बचाकर आये तिब्बती शरणार्थियों ने इस इलाके में यमुना नदी के किनारे रहना शुरू किया और साल 1960 में भारत सरकार ने उन्हें स्थापित होने के लिए ज़मीन दी। दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित ने तिब्बती शरणार्थी कॉलोनी को "न्यू अरुणा नगर" नाम दिया।
"Majnu ka tilla" को और भी कई नामों से जाना जाता है :-
आधिकारिक (official) नाम :- न्यू अरुणा नगर, साम्येलिंग, चुँगटाऊन
अनाधिकारिक (unofficial ) नाम :- छांग बस्ती, छांगिस्तान, मिनी तिब्बत, MKT
वर्तमान समय
आज तिब्बतन रिफ्यूजी कॉलोनी एक जीवंत, सक्रिय, और हलचल से पूर्ण रिहाइशी इलाके के साथ एक बेहतरीन मार्किट है जहाँ आप स्टाइलिश गरम कपडे, शूज, जैकेट्स, और जीन्स के अलावा डिज़ाइनर बैग्स, ज्वेलरी, हेंडीक्राफ्ट आइटम्स, और विदेशी ब्रांड्स के सामान भी खरीद सकते है।
यहाँ आपको हर गली में दुकानें और रेस्टोरेंट्स और बहुत से होटल्स मिलेंगे। गलियां संकरी होने के कारण पहली बार आने वाले अक्सर रास्ता भूल सकते है। MKT में आप तिब्बती, नार्थ ईस्ट इंडिया, कोरियाई, नेपाली और अफगानी खाने का लुत्फ़ उठा सकते है।
कुछ प्रमुख खाने की जगह है - डोलमा हॉउस, Tee Dee, कोको रेस्टोरेंट, AMA, खाम कॉफी हाउस, कोरी और रिगो। इनके साथ साथ आप गलियों में लगे बहुत से फ़ूड स्टाल्स भी परख सकते है जो काफी प्रसिद्ध "ला-फिंग", मोमोज़ और थुक्पा बनाते है।
दिल्ली विश्व विद्यालय कैंपस के पास होने के कारण यह जगह कॉलेज स्टूडेंट्स के साथ-साथ विदेशी सैलानियों को भी अपनी तरफ आकर्षित करता है, जो यहाँ खाने के साथ खरीदारी के भी लुत्फ़ उठाते है।
यहाँ एक खूबसूरत तिब्बती मोनेस्ट्री और एक बुद्धिस्ट मंदिर भी है। कुछ देर के लिए आपको ऐसा महसूस हो सकता है के आप दिल्ली में है ही नहीं।
यहाँ एक खूबसूरत तिब्बती मोनेस्ट्री और एक बुद्धिस्ट मंदिर भी है। कुछ देर के लिए आपको ऐसा महसूस हो सकता है के आप दिल्ली में है ही नहीं।
कैसे पहुंचे
MKT के एक तरफ NH -1 और आउटर रिंग रोड है तो दूसरी तरफ यमुना नदी है, कश्मीरी गेट बस अड्डा यहाँ से लगभग 4 km की दूरी पर है। दिल्ली मेट्रो का सबसे नज़दीकी स्टेशन, विधान सभा है जो करीब 2 km दूर है, यहाँ से यहाँ से आप रिक्शा द्वारा आ सकते है।
बेहद रोचक और जानकारी से भरपुर । घटनाओ का क्रमांक भी बहुत सुन्दर और व्यवस्थित ।
जवाब देंहटाएंThank you for finding it interesting and informative
हटाएंBhut badhiya... .aaj tak kuch log yhi smjhte the ki wo lela majnu ki kahani h. . .aapke is article se bhut kuch jankari hasil hui hume . Very nice..
जवाब देंहटाएंDhanyawad 🙏
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