Historical Gates of Delhi - दिल्ली के ऐतिहासिक गेट्स


Historical Gates of Delhi - दिल्ली के ऐतिहासिक गेट्स


       दिल्ली में कभी कभी कहीं कहीं आपने कश्मीरी गेट, अजमेरी गेट या दिल्ली गेट के बारे में अक्सर सुना होगा या आप वहां से गुजरे भी होंगे।पर क्या आपके मन में कभी उनके ऐतिहासिक महत्व के बारे में जानने या समझने की चाहत उत्पन्न हुई ?
     
      जैसा की आप जानते हैं दिल्ली बहुत लम्बे समय से अलग-अलग शासको की राजधानी रही हैं इसीलिए दिल्ली में गेट्स का इतिहास भी बहुत पुराना हैं, लाल कोट या क़िला राय  पिथोरा  के (समय 791- 1311) का प्राचीन शहर जिसे दिल्ली का पहला शहर भी कहा जाता हैं  से लेकर अंग्रेजों के आधुनिक शहर, नई दिल्ली (समय 1931 ) तक।

        मुख्यतः दिल्ली में आज जो ऐतिहासिक गेट्स हैं वह दिल्ली के सातवे शहर, शाहजहानाबाद (17th शताब्दी) और अंग्रेजों के समय के हैं। शाहजहानाबाद दिल्ली का सातवाँ शहर था  जिसे मुग़ल शासक शाहजहाँ ने साल 1650 में बनवाया था इसके चारोँ और एक दिवार और उस दिवार में 14  दरवाजें एवं 16 खिड़कियां बनवाई थी। 

       आज के वर्तमान समय में उन 14 गेट्स में से केवल 5 ही अच्छी स्तिथि में बचे हैं।

Kashmere Gate - कश्मीरी गेट

     अगर आप किसी से कश्मीरी गेट के बारे में पूछे तो ज्यादातर कश्मीरी गेट बस अड्डा या मेट्रो स्टेशन के बारे में बताएँगे, कम ही लोग है जो आपको असली कश्मीरी गेट या दरवाज़ों के बारे में कोई जानकारी दे पाएंगे। 

     इसका नाम कश्मीरी गेट इसलिए पड़ा क्यूँकि राजा-महाराजा कश्मीर एवं दिल्ली के उत्तर में जाने के लिए इस दरवाजे का प्रयोग करते थे। इसका निर्माण मुग़ल शासक शाहजहाँ ने करवाया था। 1857 के विद्रोह में कश्मीरी इस गेट की बड़ी भूमिका रही थी जिस पर बागी सिपाहियों ने कब्ज़ा कर लिया था और  बाद में अंग्रेजों ने भारी बमबारी के बाद वापस ले लिया था।

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Kashmere Gate - कश्मीरी गेट 

     
अंग्रेजों ने इस गेट के पास दिल्ली का सबसे पुराना  चर्च, सेंट जेम्स  1836 में बनवाया उसके बाद यहां अपने रहने के लिए आवासीय क्षेत्र  सिविल लाइन्स का निर्माण किया। 
आज यहां अंतर्राजीय बस अड्डा एवं दिल्ली मेट्रो  का मुख्यालय स्तिथ हैं। यह दिल्ली का एकमात्र ऐसा गेट है जिसके आने जाने के दो अलग-अलग रास्ते थे।

नजदीकी दिल्ली मेट्रो स्टेशन - Kashmere Gate Metro Station 

Delhi Gate - दिल्ली गेट

     यह गेट दरयागंज इलाके में स्तिथ है जो नई दिल्ली को पुरानी दिल्ली से जोड़ता है। इस गेट का निर्माण शाहजहां ने साल 1638 में कराया था और इसी गेट से होते हुए वह जामा मस्जिद जाते थे।

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Delhi Gate - दिल्ली गेट 

    इसके दूसरी तरफ आंबेडकर स्टेडियम और फिरोजशाह कोटला क्रिकेट स्टेडियम उपस्तिथ है। मशहूर संडे बुक बाजार Delhi Gate के आसपास ही लगता हैं एवं आगरा का दिल्ली गेट भी मोहम्मद फरुखसियार  ने इसी  के जैसा बनवाया था। 


     दिल्ली का दूसरा दिल्ली गेट नजफगढ़ में स्तिथ है जिसका निर्माण एक शक्तिशाली मुग़ल प्रधान मंत्री नजफ़ खान ने 1770 में करवाया, कुछ समय पहले इसका नया नाम वैद किशोरी लाल द्वार रख दिया गया है। 

नजदीकी दिल्ली मेट्रो स्टेशन - Delhi Gate Metro Station 

Ajmeri Gate - अजमेरी गेट

     राजस्थान के अजमेर शहर तक जाने वाला रास्ता इसी गेट से होकर गुजरता था इसीलिए इसका नाम Ajmeri Gate हुआ। इसका निर्माण साल 1644 के आसपास किया गयायह गेट एक तिराहे पर स्तिथ है जिसका एक रास्ता नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, दूसरा सदर बाजार और तीसरा रास्ता चावड़ी बाजार की ओर जाता है।

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Ajmeri Gate - अजमेरी गेट 

     साल 1690 
के आसपास हैदराबाद के पहले निज़ाम के पिता नवाब ग़ाज़ीउद्दीन बहादुर ने यहाँ एंग्लो अरेबिक स्कूल का निर्माण कराया जिसमे बाद में जाकर दिल्ली कॉलेज और ज़ाकिर हुसैन कॉलेज की स्थापना की गयी।


नजदीकी दिल्ली मेट्रो स्टेशन - Chawari Bazaar and New Delhi Metro Station

Lahori Gate - लाहोरी गेट

     यह गेट लाल किला का मुख्य द्वार है और इसका निर्माण शाहजहां ने साल 1639 में कराया थाइस गेट पर मुग़ल शासक औरंगज़ैब ने एक प्राचीर का निर्माण कराया और भव्यता प्रदान की। लाहौर की तरफ जाने वाले रास्ते पर स्तिथ होने के कारण इस गेट का नाम Lahori Gate पड़ा।

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Lahori Gate - लाहौरी गेट 

     साल 1947 के बाद से हर साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधान मंत्री इस ही गेट के ऊपर से राष्ट्रीय झंडा फहराते है और राष्ट्र को सम्बोधित करते है जिस वजह से इस गेट के चारों तरफ भारी सुरक्षा का बंदोबस्त किया जाता है।

नजदीकी दिल्ली मेट्रो स्टेशन - Lal Quila Metro Station 

Turkman Gate - तुर्कमान गेट

     इस गेट का नाम 12वीं शताब्दी के सूफी संत तुर्कमान बयाबानी के नाम पर हुआ और इसका निर्माण 1650 के आसपास हुआ। यह गेट रामलीला मैदान के पास स्तिथ है और दूसरी तरफ Delhi Stock Exchange की ईमारत है।

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Turkman Gate - तुर्कमान गेट 

     हज
यात्रा पर जाने वाले जायरीन के रजिस्ट्रेशन के लिए हज मंजिल भी Turkman Gate पर स्तिथ है। 1976 में इमरजेंसी के समय इस गेट को काफी नुकसान पहुँचा पर आज यह एक अच्छी स्तिथि मैं है। रात के समय यहाँ लाइट की रौशनी से एक मनोरम नज़ारा उत्पन्न होता है और काफ़ी लोग यहाँ आकर बैठते है।


नजदीकी दिल्ली मेट्रो स्टेशन - New Delhi and Delhi Gate Metro Station 

Khooni Darwaza - खुनी दरवाज़ा

       इस गेट का निर्माण अफ़ग़ान शासक शेर शाह सूरी ने साल 1540 -45 में मुग़ल शासक हुमायूँ को हारने के बाद करवाया। यह दरवाज़ा फिरोज शाह कोटला मैदान और मौलान आज़ाद मेडिकल कॉलेज के पास है।


Khooni Darwaza - खुनी दरवाज़ा @ delhiblogs
Khooni Darwaza - खुनी दरवाज़ा

आईये इसके खुनी इतिहास के बारे में जानते है -

1. शहंशाह जहांगीर ने अपने खिलाफ अकबर के नौ रत्नो में से एक अब्दुल रहीम खान के दो बेटो का सर कलम यहीं कराया था। 

2. औरंज़ेब ने शाहजहां को कैद किया और अपने बड़े भाई दारा  शिकोह का सर कलम कर Khooni Darwaza पर उसकी नुमाइश की। 
3. इस ही जगह अंग्रेज अफसर मेजर विलियम हॉडसन ने 22 sep 1857 को बहादुर शाह जफ़र के तीन बेटों को गोली मारकर उनके मृत शरीर को  कोतवाली के सामनेदिन तक प्रदर्शनी के लिए छोड़ दिया। 

4. 1947 में देश के विभाजन के समय भी यहाँ बहुत से शरणार्थियों की हत्या की गयी थी।

India Gate - इंडिया गेट 

     इंडिया गेट का असली नाम "ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल" है जिसका निर्माण प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे अंग्रेज़-अफ़ग़ान युद्ध में शहीद हुए ब्रिटिश इंडिया आर्मी के फौजियों की याद में 1921 -33 के बीच कराया गया।

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India Gate - इंडिया गेट 

     26 Jan 1972
को  बांग्लादेश मुक्ति  युद्ध के बाद  इसके नीचे "अमर जवान ज्योति" का निर्माण किया गया जिसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने किया। पिछले साल Feb 2019 में यहाँ "National War Memorial" का निर्माण कार्य भी पूरा हुआ है। 


     आज India Gate एक उत्तम पिकनिक स्पॉट के रूप में प्रसिद्ध है, यह कनॉट प्लेस और दिल्ली के दूसरे प्रयटन स्थल के बहुत नज़दीक है। 

नजदीकी दिल्ली मेट्रो स्टेशन - Central Secretariat and Khan Market Metro Station


टिप्पणियाँ

  1. An interesting article with good information ��

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  2. Information shared was really interesting and I came to know of these delhi gates only after reading article by Naveen kumar and I want to congratulate him and wish him best of luck for his journey to write about delhi.

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  3. वाह , मज़ा आ गया । कमाल की जानकारी, अद्भूत विवरण ।

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